पंतनगर विश्वविद्यालय के पादप रोग वैज्ञानिकों ने किसानों को आलू के पछेती झुलसा रोग के आने की संभावना के प्रति सचेत किया है। उन्होंने बताया कि अखिल भारतीय समन्वित आलू षोध परियोजना, भारतीय मौसम विभाग एवं पंतनगर विष्वविद्यालय द्वारा आलू के पछेती झुलसा रोग के पूर्वानुमान हेतु विकसित इंडोब्लाइटीकास्ट माॅडल से आगामी कुछ दिनों में पंतनगर एवं निकटवर्ती क्षेत्रों में आलू के पछेती झुलसा रोग के प्रकोप की संभावना व्यक्त की हैं।

उन्होंने बताया कि पछेती झुलसा से बचाव हेतु मैन्कोजेब 72 प्रतिषत घुलनषील चूर्ण का 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर अतिषीघ्र छिड़काव करें। यदि खेत में आलू के पछेती झुलसा रोग के षुरूवाती लक्षण प्रकट हो चुके हैं, उस स्थिति में साइमोक्जेनिल$मैन्कोजेब 3.0 ग्राम प्रति लीटर अथवा अमेटोक्ट्राडिन$डाइमिथेमार्फ 2.0 मिली लीटर प्रति लीटर में से किसी एक सम्मिश्रण फंफूदनाषी का घोल बनाकर छिड़काव करें।
रोग की तीव्रता बढ़ने पर ऊपर दिये गये किसी एक सम्मिश्रण फंफूदनाषी का 10 दिन के अन्तराल में पुनः छिड़काव करें लेकिन किसानों से अनुरोध है कि एक सम्मिश्रण फंफूदनाषी का एक बार ही छिड़काव हेतु प्रयोग करें। सम्मिश्रण फंफूदनाषी के छिड़काव उपरान्त रोग की तीव्रता कम होने पर आवष्यकतानुसार प्रथम छिड़काव हेतु संस्तुत किये गये फंफूदनाषी (मैन्कोजेब का 2.5 ग्राम/लीटर) का 10-15 दिनों के अन्तराल में छिड़काव किया जा सकता है।