पंतनगर विश्वविद्यालय में तीन-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई सम्पन्न (विषय: पारंपरिक एवं आधुनिक पादप तकनीको एकत्रीकरणः प्रचलन एवं चुनौतियाँ )

पन्तनगर विश्वविद्यालय के कुलपति डा. मनमोहन सिंह चौहान के नेतृत्व में कृषि महाविद्यालय सभागार में प्लांट ब्रीडिंग एवं जेनिटिक्स सोसाइटी द्वारा पारंपरिक एवं आधुनिक पादप तकनीको एकत्रीकरणः प्रचलन एवं चुनौतियाँ विशय पर तीन-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी सफलता के साथ सम्पन्न हुई।

संगोश्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि भारतीय कृशि अनुसंधान परिषद के उपमहानिदेषक (फसल विज्ञान) डा. तिलक राज शर्मा थे। समापन सत्र मे अधिष्ठाता मानविकी महाविद्यालय डा. संदीप अरोरा; अन्तर्राष्ट्रीय स्लाइन षोध संस्थान दुबई, डा. आर के सिंह; पूर्व वैज्ञानिक आईसीएआर, इकाडा डा. आर.पी.एस. वर्मा, प्रधान वैज्ञानिक आईआईडब्लूबीआर, करनाल डा. ओमवीर सिंह एवं विभागाध्यक्ष प्लांट ब्रीडिंग डा. आर.के. पवार मंचासीन थे।


  तीन-दिवसीय संगोष्ठी के दौरान विभिन्न सत्रों में डा. एस.एच. चावला एवं डा. लक्ष्मीकान्त द्वारा प्री-एंड पोस्ट- जीनोमिक इरा; डा. आर.के. सिंह, कृषि स्थिरता के लिए फसल विविधता की आवश्यकता; डा. जी.पी. मिश्रा, दाल में समय से पहले पकने के लिए आणविक प्रजनन दृष्टिकोण; डा. राहुल चतुर्वेदी, आलू के सत्य बीज उत्पादन की अभिनव विधियां; डा. एस.के. चतुर्वेदी, खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के लिए गैर पारम्परिक फसलों का उपयोग; डा. ओम वीर सिंह, छिलका रहित जौ को आगे बढ़ानाः प्रजनन, प्रदर्षन एवं संर्वधन;  डा. अभिशेक बोहरा, फलियों की अगली पीढ़ी का प्रजनन; डा. ए.के. परिहार, दलहन मटर में गर्मी सहनशीलता के लिए प्रजनन; डा. एस.पी. सिंह, बाजरा में संकर विकास; डा. डी.के. द्विवेदी, हाइब्रिड चावल बीज उत्पादन प्रौद्योगिकी में 21वीं सदी की प्रगति; डा. शैलेश त्रिपाठी, दलहन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना: आगे का रास्ता; डा. आर.पी.एस. वर्मा ने औद्योगिक उपयोग के लिए जौ में सार्वजनिक-निजी भागीदारी विशयों पर व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। इसके अतिरिक्त मौखिक रूप से विद्यार्थियों एवं वैज्ञानिकों द्वारा 25 से अधिक प्रस्तुतियों में खाद्य सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए पारंपरिक और आधुनिक तकनीकों को एकीकृत करते हुए पौधों के प्रजनन नवाचारों को शामिल किया गया।


सत्र में संकर चावल के बीज उत्पादन में प्रगति, दालों की आत्मनिर्भरता के लिए रणनीतियों और जौ की औद्योगिक क्षमता पर एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान किया। वक्ताओं ने कृषि में वातावरण चुनौतियों के मध्य का समाधान करने के लिए व्यावहारिक अनुप्रयोगों के साथ मार्कर असिस्टेड ब्रीडिंग, जीनोमिक्स-सहायता प्राप्त प्रजनन और गति प्रजनन जैसी अत्याधुनिक तकनीकों के एकीकरण पर जोर दिया। सत्र में नए अवसरों को खोलने और खाद्य सुरक्षा हासिल करने के लिए मजबूत सार्वजनिक-निजी भागीदारी, नवाचार और टिकाऊ प्रथाओं की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम का संचालन प्राध्यापक डा. एन.के. सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन प्राध्यापक एवं निदेशक संचार डा. जे.पी. जायसवाल द्वारा किया गया। संगोष्ठी में विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिक, विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता एवं निदेशक एवं कृषि महाविद्यालय के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष एवं विद्यार्थी उपस्थित थे। संगोष्ठी में विभिन्न संस्थानों यथा भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली, भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान कानपुर, केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय आरएलबी झांसी, चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय हिसार तथा अन्य संस्थानों के वैज्ञानिकों एवं विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया गया।

विद्यार्थियों को उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उनको प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया गया। कुलपति द्वारा संगोष्ठी के सफल आयोजन हेतु आनुवंशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के सभी वैज्ञानिकों एवं विद्यार्थियों को बधाई दी।

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