पन्तनगर विश्वविद्यालय द्वारा हल्दूचौड़ ग्राम-जग्गी बांगर में ‘किसानों को खरपतवार प्रबन्धन’ पर प्रषिक्षण आयोजित किया गया, जिसमें खरपतवार प्रबन्धन परियोजना परियोजनाधिकारी डा. एस.पी. सिंह एवं वरिश्ठ प्राध्यापक डा. तेज प्रताप ने विभिन्न फसलांे में खरपतवार प्रबंधन पर किसानों के साथ चर्चा की। इस प्रषिक्षण कार्यक्रम में प्रषिक्षण का संचालन डा. एस.पी. सिंह ने किया। प्रषिक्षण कार्यक्रम में ग्राम जग्गी बांगर के बीडीसी श्री विनोद कुमार उपस्थित थे।

डा. तेज प्रताप ने खरीफ फसलों में खरपतवार की समस्या की तरफ किसान भाइयों का ध्यान आकार्शित करते हुये बताया कि अगर किसान भाई अपने खेतों में खरपतवार उगते हुये नहीं देखना चाहते है तो उन्हें प्रक्षेत्र को लगातार 10 दिनों तक पानी भर के रखना चाहिए तथा लगातार लम्बे समय तक एक ही षाकनाषी प्रयोग नहीं करना चाहिए। डा. एस.पी. सिंह ने सुझाव दिया कि षाकनाषी के प्रयोग की सबसे उचित समय तब होता है, जब खरपतवार 2-4 पत्ती अवस्था में हो। सभी प्रकार के खरपतवारों अब बाजार ने षाकनाषियांे के नये-नये उत्पाद आ गये है, जिनके अब सभी प्रकार के खरपतवारों का नियन्त्रण किया जा सकता है।
प्रायः यह देखा जाता है कि किसान भाई स्प्रे के लिए घोल बनाते समय अतिरिक्त मात्रा कम पानी का प्रयोग करते है, जिससे खरपतवारों का ठीक से नियन्त्रण नही होता है। परियोजना अधिकारी डा. एस. पी. सिंह ने आगामी जायद एवं खरीफ की फसलांे में खरपतवारांे से हाने वाले नुकसान तथा नियन्त्रण की अनेक विधियों की विस्तार से चर्चा की तथा षाकनाषी प्रयोग की तकनीकियों के बारे में चर्चा करते हुये बताया कि खरपतवार नाषियों के छिड़काव के लिए हमेषा फ्लेंट फेन कट नॉजल का प्रायोग उचित होता है। डा. एस.पी. सिंह ने मक्का, सोयाबीन, मॅूग, उड़द, मक्का एवं धान में किन खरपतवार नाषियों का प्रयोग कितनी मात्रा में और कब प्रयोग करें बारे में किसानों को विस्तार पूर्वक बताया।
डा. सिंह ने किसानों को सही मात्रा में षाकनाषियों का सही तरीके से घोल बनानेे तथा बुम नोजलका प्रयोग करनें पर जोर दिया। प्रषिक्षण में लगभग 100 पुरूश एवं महिला कृशक उपस्थि थे परियोजना की तरफ से सभी किसान भाई-बहनों की विभिन्न जायद एवं खरीफ फसलों में प्रयोग होने वाले नये षाकनाषियों का वितरण किया गया। प्रषिक्षण परियोजना के वरिश्ठ षोधार्थी विषाल विक्रम सिंह, धर्मेन्द्र कुमार, राजीव एवं कृशक श्री प्रकाष जोषी, नवीन दुमका, अनिल, दिनेष सिंह, षिषुपाल सिंह एव अन्य किसान भी उपस्थित थे। सभी किसान भईयों बहनों ने अपनी समस्याओं को वैज्ञानिकों के समक्ष रखा और उसके समाधान के विशय में जानकारी ली।