गोलापार ग्राम किषनपुर रैक्वाल गंगापुर में श्री देवेन्द्र बिश्ट कृशक के प्रक्षेत्र पर किसानों को खरपतवार प्रबन्धन पर प्रषिक्षण आयोजित किया गया, जिसमें खरपतवार प्रबन्धन परियोजना के परियोजनाधिकारी डा. एस.पी. सिंह, डा. तेज प्रताप वरिश्ठ प्राध्यापक ने विभिन्न फसलांे में खरपतवार प्रबंधन पर किसानो के साथ विमर्ष किया।

इस प्रषिक्षण कार्यक्रम का संचालन डा. एस.पी. सिंह ने किया। प्रषिक्षण कार्यक्रम में ग्राम किषनपुर रैक्वाल केे ग्राम प्रधान श्रीमती ममता बिश्ट के प्रतिनिधि श्री घनष्याम सिंह उपस्थित थे। डा. तेज प्रताप ने रबी फसलों में खरपतवार की समस्या की तरफ किसान भाइयों का ध्यान आकर्शित करते हुये बताया कि अगर किसान भाई अपने खेतों में खरपतवार उगाते हुये नहीं देखना चाहते है तो उन्हें फसलों के षुद्ध बीजों की ही बोआई करनी चाहिए। सड़ी हुई गोबर की खाद प्रयोग करना चाहिए।
प्रत्येक 3 वर्श बाद बीजों को बदल देना चाहिए तथा लगातार लम्बे समय तक एक ही षाकनाषी प्रयोग नही करना चाहिए। डा. तेज प्रताप ने पषुओं के चारे की वजह से फसलों मे खरपतवार को न छोड़े क्योंकि जब तक चारे हेतु खरपतवारों को निकाला जाता है तब तक खरपतवार फसल का काफी नुकसान कर चुके होते है। अब बाजार में षाकनाषियांे के नये-नये उत्पाद आ गये है जिनसे अब सभी प्रकार के खरपतवारों का नियन्त्रण किया जा सकता है।
प्रायः यह देखा जाता है कि किसान भाई स्प्रे के लिए घोल बनाते समय संस्तुति से अधिक अथवा कम पानी का प्रयोग करते है, जिससे खरपतवारों का ठीक से नियन्त्रण नही होता है। डा. एस.पी. सिंह ने आगामी जायद एवं खरीफ की फसलांे में खरपतवारांे से हाने वाले नुकसान तथा नियन्त्रण की अनेक विधियों की विस्तार से चर्चा की तथा षाकनाषी प्रयोग की तकनीकियों के बारे में चर्चा करते हुये बताया कि खरपतवारनाषियों के छिड़काव के लिए हमेषा फ्लेंट फेन कट नॉजल का प्रायोग उचित होता है।
डा. एस.पी. सिंह ने मक्का, सोयाबीन, मॅूग, उड़द, प्याज एवं धान में किन खरपतवार नाषियों का प्रयोग कितनी मात्रा में और कब प्रयोग करें बारे में किसानों को विस्तार पूर्वक बताया। डा. सिंह ने किसानों को सही मात्रा में षाकनाषियों का सही तरीके से घोल बनानेे तथा बुम नोजलका प्रयोग करनें पर जोर दिया। प्रषिक्षण कार्यक्रम में के.वी.के. ज्योलीकोट, नैनीताल की सस्य विज्ञान विभाग की वैज्ञानिक डा. कंचन नैनवाल ने किसानों को जागरूक करते हुये बताया कि खरपतवारों से फसलों को काफी नुकसान होता है इसलिए सभी किसान भाई एवं बहने वैज्ञानिक तरीके अपनाकर खरपतवारों पर प्रभावी नियन्त्रण करके फसलों का उत्पादन बढ़ा सकते है।
प्रषिक्षण में लगभग 100 पुरूश एवं महिला कृशक उपस्थि थे परियोजना की तरफ से सभी किसान भाई-बहनों की विभिन्न खरीफ फसलों में प्रयोग होने वाले नये षाकनाषियों का वितरण किया गया। प्रषिक्षण परियोजना के वरिश्ठ षोधार्थी विषाल विक्रम सिंह, धमेन्द्र कुमार, राजीव एवं कृशक श्री देवन्द्र विश्ट महेषराम, सोबन सिंह, रमेष सिंह मंजु सम्मल, रमा देवी, खश्टी देवी के साथ-साथ अन्य किसान भी उपस्थित थे। प्रषिक्षण मे समाज सेवी श्री नीरज रैक्कल भी उपस्थित रहे। सभी किसान भईयों बहनों ने अपनी समस्याओं को वैज्ञानिकों के समक्ष रखा और उसके समाधान के विशय में जानकारी ली।