पन्तनगर विश्वविद्यालय में शोध निदेशालय द्वारा नव वर्ष कार्यक्रम एवं शोध परिषद की तीसरी बैठक आज गांधी हाल में कुलपति डा. मनमोहन सिंह चौहान की अध्यक्षता में आयोजित की गयी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुमाऊँ विश्वविद्यालय के कुलपति डा. डी.एस. रावत थे।

मुख्य अतिथि डा. डी.एस. रावत ने अपने अनुभवों को साझा किया और कहा कि लक्ष्य प्राप्ति के लिए धन और धुन दोनों की आवश्यकता होती हैं। उन्होंने वैज्ञानिकों को प्रेरित किया और सभी से समाज के कल्याण में सार्थक योगदान देने का आग्रह किया। वैज्ञानिकों को अपने समय को प्रभावी ढंग से प्रयोग करने, उच्च गुणवत्ता वाले शोध पत्र प्रकाशित करने, नवीन उत्पाद विकसित करने और समाज की भलाई के लिए विकसित तकनीकों के व्यावसायीकरण पर बल दिया।
कुलपति डा. मनमोहन सिंह चौहान ने अपने अध्यक्षीय भाषण में वैज्ञानिकों को ‘आईआईएस’ के सिद्धांतों को समाहित करते हुए विचार, नवाचार और रणनीति पर ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया। उनके द्वारा उत्पाद/तकनीक, पेटेंट और प्रकाशन पर बल दिया गया तथा पेटेंट के व्यवसायीकरण हेतु समुचित प्रयास करने हेतु कहा गया।
उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा विकसित मंडुआ की लस्सी के आउटलेट खोलकर उनको उद्यमशील उपक्रमों के रूप में स्थापना हेतु प्रोत्साहित किया। उनके द्वारा शोधकर्ताओं को 8 से ऊपर नास (एन.ए.ए.एस.) रेटिंग वाले उच्च गुणवत्ता वाले शोधपत्र प्रकाशित करने के लिए प्रेरित किया और सामाजिक विकास के लिए टीमवर्क, सकारात्मक सोच और सामूहिक प्रयासों के महत्व पर जोर दिया गया।
पिछली उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि तीन वर्षों में 100 से अधिक प्रौद्योगिकियों का विकास हुआ और विश्वविद्यालय में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा वित्त पोषित अखिल भारतीय समन्वित शोध परियोजनाओं को पुरस्कृत करने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्होंने सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में निदेशक शोध डा. ए.एस. नैन द्वारा स्वागत किया गया और विश्वविद्यालय की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया। उन्होंने बताया कि गत वर्ष में विभिन्न फसलों की छः नई किस्में विमोचित हुई और गत दो वर्ष में 19 किस्मों का विमोचन और 100 से अधिक कृषि प्रौद्योगिकियों का विकास और 7,000 क्विंटल से अधिक प्रजनक बीजों का उत्पादन शामिल है। उन्होंने उधमसिंह नगर और नैनीताल जिलों में कृषि-सलाहकार सेवाओं के माध्यम से विश्वविद्यालय की पहुंच पर भी प्रकाश डाला।
उन्होंने जनवरी 2024 में शुरू की गई ई-फाइल प्रणाली के सफल कार्यान्वयन का उल्लेख किया जिसने बिल भुगतान और परियोजना प्रबंधन से संबंधित मुद्दों को हल करके प्रशासनिक दक्षता में वृद्धि की है।
आईसीएआर द्वारा ऐसे एक्रीप के अंतर्गत चल रही परियोजनाएं जिनको सर्वश्रेष्ठ केन्द्र के रूप में सम्मान प्राप्त हुआ है, में शामिल वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया जिसमें दलहन के लिए डा. एस.के. वर्मा, फसलों के जैविक नियंत्रण के लिए डा. रूपाली शर्मा, मशरूम के लिए डा. एस.के. मिश्रा और जैविक खेती के लिए डा. डी.के. सिंह थे।
डा. एस.के. वर्मा को शोध एवं शिक्षण में योगदान के लिए राधाकृष्णन सर्वश्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त, अपशिष्ट प्रबंधन, जैविक खेती, पशु नस्ल सुधार, जीनोमिक्स असिस्टेड ब्रीडिंग और नैनो प्रौद्योगिकी जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर मान्यता दिये गये रिसर्च स्कूल के डा. सुभाष चंद्रा, डा. शिव प्रसाद, डा. संदीप कुमार और डा. राजीव कुमार को प्रमाण-पत्र दिया गया।
बैठक में दो एमओयू पर हस्ताक्षर किए गये जिसमें पहला एमओयू वीपीकेएएस, अल्मोड़ा के साथ हस्ताक्षरित किया गया, जिसका प्रतिनिधित्व फसल विज्ञान विभाग के प्रमुख डा. निर्मल हेडाऊ ने किया। दूसरा एमओयू ग्रीन साइबस इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड, गाजियाबाद की मैनेजिंग डायेरक्टर स्वाति ठाकुर और उत्तर प्रदेश के जीएसटी आयुक्त गौरव राजपूत की उपस्थिति में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए किया गया।
समझौते के दौरान पंतनगर विष्वविद्यालय की ओर से डा. ललित भट्ट, डा. अर्चना कुशवाहा और डा. सरिता श्रीवास्तव भी उपस्थित थीं। इस अवसर पर ई-ऑफिस के माध्यम से अवकाश आवेदन की व्यवस्था का उद्घाटन किया गया। कार्यक्रम का समापन पर संयुक्त निदेशक शोध डा. पी.के. सिंह के धन्यवाद ज्ञापन किया गया और कार्यक्रम का संचालन डा. अनिल यादव, संयुक्त निदेशक शोध द्वारा किया गया। कार्यक्रम में अधिष्ठाता, निदेशक एवं संकाय सदस्य, वैज्ञानिक उपस्थित थे।