आईसीएआर जनजातीय उपयोजना 2024 – 25 के तहत दो दिवसीय प्रशिक्षण का हरिपुरा गाँव गरदपुर में सफल समापन


आईसीएआर जनजातीय उपयोजना 2024-25 के तहत संचालित परियोजना ‘उत्तराखंड की जनजातीय महिलाओं की सतत आजीविका और आर्थिक सशक्तिकरण हेतु कृषि एवं डेयरी उत्पादों में मूल्य संवर्धन द्वारा तकनीकी हस्तक्षेप’ का सफल समापन हरिपुरा गाँव गरदपुर में हुआ।

इस पहल का उद्देश्य जनजातीय महिलाओं को कृषि एवं डेयरी उत्पादों में मूल्य संवर्धन की तकनीकों से प्रशिक्षित कर उनकी आजीविका के अवसरों को बढ़ाना, उद्यमिता को बढ़ावा देना और आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना है। इसी क्रम में ‘जैविक गुड़, गन्नाए मिलेट्स, सेवई, पास्ता, गुझिया, शहद एवं उनके विपणन के माध्यम से जनजातीय समुदाय का सशक्तिकरण विषय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के द्वितीय दिवस में मुख्य अतिथि डा. जे.पी.जायसवाल निदेशक संचार रहे।

उन्होंने कहा कि इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम जनजातीय महिलाओं की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि ये उन्हें आवश्यक उद्यमशीलता कौशल से सशक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि मूल्य संवर्धन के माध्यम से महिलाएँ अपनी आमदनी बढ़ा सकती हैं। सशक्तिकरण तब संभव है जब हमारे पास सकारात्मक सोच, दृष्टिकोण और आत्म-अवधारणा हो। सफलता के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण आवश्यक है। साथ ही यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि मूल्य संवर्धित उत्पादों में केवल उचित एवं शुद्ध सामग्री का ही उपयोग किया जाए।

डा. जायसवाल ने इस कार्यक्रम के लिए एक व्हाट्सएप चैनल, इंस्टाग्राम पेज और यूट्यूब चैनल लॉन्च किया। प्रशिक्षण विशेषज्ञ श्रीमती एकताने मंडुआ लड्डू, सेवई, पास्ता, गुझिया, मंडुआ नमकीन, मैदा नमकीन, गुड़ लड्डू और मंडुआ लपसी बनाने की प्रक्रिया का प्रदर्शन किया। समाज विकास संस्थान की परियोजना निदेशक श्रीमती बिंदुवासिनीने जैविक उत्पादों की मार्केटिंग रणनीतियों पर एक महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया। श्रीमती एकता मिश्रा ने गुजिया, पास्ता, सेवई, मंडुआ नमकीन और मंडुआ बिस्किट बनाने का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया। परियोजना अधिकारी डा. अर्पिता शर्मा कांडपाल ने सोशल मीडिया के माध्यम से कृषि आधारित उत्पादों के विपणन पर एक सत्र लिया।

उन्होंने बताया कि फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग व्यापार को बढ़ाने और बिक्री में वृद्धि के लिए कैसे किया जा सकता है। प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले ग्रामीणों को अपने स्वयं के उद्यम स्थापित करने में सहयोग देने के उद्देश्य से आवश्यक कच्चे माल एवं उपकरण वितरित किए गए। इनमें प्लास्टिक टब, कंटेनर, गुजिया बनाने की मशीनें, मंडुआ आटा, चीनी, मैदा, खोया, रिफाइंड तेल, नमक, गुड़ और सूजी शामिल थे।

कार्यक्रम में छात्रों पूजा गोस्वामी, आकांक्षा जोशी, विकास कुमार और अदिति पाठक ने भी सक्रिय भागीदारी की। कार्यक्रम का समापन इंटरैक्टिव सत्र के साथ हुआ, जहाँ प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए और व्यवसाय विकासए विपणन रणनीतियों एवं वित्तीय सहायता से संबंधित विशेषज्ञ मार्गदर्शन प्राप्त किया।

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