उत्तराखंड में सख़्त भू-कानून पर लगी मुहर। एक एक इंच जमीन खरीद का ब्यौरा दर्ज होगा पोर्टल पर। इसमें ये हैं नए प्रावधान।

उत्तराखंड सरकार ने आज प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में सशक्त भू-कानून संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी। इस ऐतिहासिक निर्णय के साथ ही राज्य के संसाधनों, सांस्कृतिक धरोहर और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस निर्णय को प्रदेश की जनता की लंबे समय से उठ रही मांग और उनकी भावनाओं का सम्मान बताया।



मुख्यमंत्री धामी ने कहा, “यह ऐतिहासिक कदम राज्य के संसाधनों, सांस्कृतिक धरोहर और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा। साथ ही, यह प्रदेश की मूल पहचान को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। हमारी सरकार जनता के हितों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है और हम कभी भी उनके विश्वास को टूटने नहीं देंगे। यह निर्णय स्पष्ट करता है कि हम अपने राज्य और संस्कृति की रक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे।


उत्तराखंड के पहाड़ की कृषि, उद्यान की जमीन को बचाने को धामी सरकार के भू कानून में सख्त प्रावधान किए गए हैं। अब हरिद्वार, उधमसिंहनगर को छोड़ कर राज्य के शेष 11 पहाड़ी जिलों में बाहर का कोई भी व्यक्ति कृषि, उद्यान के लिए जमीन नहीं खरीद पाएगा।


धामी सरकार ने बुधवार को सख्त भू कानून को मंजूरी दी। अब उत्तराखंड में 11 जिलों में दूसरे राज्य के लोग नहीं खरीद पाएंगे कृषि, उद्यान के लिए जमीन। हरिद्वार, उधम सिंह नगर को छोड़ बाकी 11 जिलों में जमीन खरीद प्रतिबंधित कर दी गई है।


निकाय सीमा में तय भूउपयोग से हटकर जमीन के इस्तेमाल करने पर भी सख्त कार्रवाई होगी।
धामी सरकार ने भू कानून को बेहद सख्त बना दिया है।


त्रिवेंद्र रावत सरकार के 2018 के सभी प्रावधान निरस्त कर एक बड़ा साहसी फैसला लिया गया है। अब राज्य में साढ़े 12 एकड़ से अधिक जमीन खरीद की मंजूरी नहीं दी जाएगी। पहाड़ों पर चकबंदी और बंदोबस्ती को तेजी से पूरा किया जाएगा।



दूसरे राज्य के लोगों के लिए राज्य में जमीन खरीदना बेहद मुश्किल हो जाएगा। जमीनों की खरीदारी के लिए अब डीएम अनुमति नहीं दे पाएंगे।


प्रदेश में जमीन खरीद के लिए पोर्टल बनाया जाएगा। पोर्टल में राज्य के बाहर के लोगों की एक एक इंच जमीन खरीद का ब्यौरा दर्ज होगा।


निकाय सीमा से बाहर दूसरे राज्य के लोगों को जमीन खरीदने को शपथ पत्र अनिवार्य रूप से देना होगा। उनकी जमीन को आधार से लिंक किया जाएगा। एक परिवार में दो लोगों के तथ्य छुपाकर जमीन खरीदने पर सख्त कार्रवाई के रूप में जमीन सरकार में निहित कर दी जाएगी।



सभी डीएम को राजस्व परिषद और शासन को सभी जमीनों की खरीद की रिपोर्ट नियमित रूप से देनी होगी।

नगर निकाय सीमा में जमीनों के तय भू उपयोग के अंतर्गत ही लोग उसका इस्तेमाल कर पाएंगे। राज्य से बाहर के लोगों के इसका दुरुपयोग करने सरकार स्तर से सख्त कार्रवाई की जाएगी। नियमों से हटकर किए गए इस्तेमाल पर जमीन सरकार में निहित की जाएगी।

नए भू कानून के प्रमुख प्रावधान⤵️

➡️त्रिवेंद्र सरकार के 2018 के सभी प्रावधान निरस्त

➡️पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार द्वारा 2018 में लागू किए गए सभी प्रावधानों को नए कानून में समाप्त कर दिया गया है।

➡️बाहरी व्यक्तियों की भूमि खरीद पर प्रतिबंध

➡️हरिद्वार और उधम सिंह नगर को छोड़कर, उत्तराखंड के 11 अन्य जिलों में राज्य के बाहर के व्यक्ति हॉर्टिकल्चर और एग्रीकल्चर की भूमि नहीं खरीद पाएंगे।

➡️पहाड़ों में चकबंदी और बंदोबस्ती

➡️पहाड़ी इलाकों में भूमि का सही उपयोग सुनिश्चित करने और अतिक्रमण रोकने के लिए चकबंदी और बंदोबस्ती की जाएगी।

जिलाधिकारियों के अधिकार सीमित⤵️

➡️अब जिलाधिकारी व्यक्तिगत रूप से भूमि खरीद की अनुमति नहीं दे पाएंगे। सभी मामलों में सरकार द्वारा बनाए गए पोर्टल के माध्यम से प्रक्रिया होगी।

➡️ऑनलाइन पोर्टल से होगी भूमि खरीद की निगरानी

➡️प्रदेश में जमीन खरीद के लिए एक पोर्टल बनाया जाएगा, जहां राज्य के बाहर के किसी भी व्यक्ति द्वारा की गई जमीन खरीद को दर्ज किया जाएगा।

शपथ पत्र होगा अनिवार्य⤵️

➡️राज्य के बाहर के लोगों को जमीन खरीदने के लिए शपथ पत्र देना अनिवार्य होगा, जिससे फर्जीवाड़ा और अनियमितताओं को रोका जा सके।

➡️नियमित रूप से भूमि खरीद की रिपोर्टिंग

➡️सभी जिलाधिकारियों को राजस्व परिषद और शासन को नियमित रूप से भूमि खरीद से जुड़ी रिपोर्ट सौंपनी होगी।

जमीन सरकार में निहित होगी⤵️

➡️नगर निकाय सीमा के भीतर तय भू उपयोग

➡️नगर निकाय सीमा के अंतर्गत आने वाली भूमि का उपयोग केवल निर्धारित भू उपयोग के अनुसार ही किया जा सकेगा।

➡️यदि किसी व्यक्ति ने नियमों के खिलाफ जमीन का उपयोग किया, तो वह जमीन सरकार में निहित हो जाएगी।

क्या होगा नए कानून का प्रभाव ?⤵️

➡️इस कानून से उत्तराखंड में बाहरी लोगों द्वारा अंधाधुंध भूमि खरीद पर रोक लगेगी।

➡️पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि का बेहतर प्रबंधन होगा, जिससे राज्य के निवासियों को अधिक लाभ मिलेगा।

➡️भूमि की कीमतों में अप्राकृतिक बढ़ोतरी पर नियंत्रण रहेगा और राज्य के मूल निवासियों को भूमि खरीदने में सहूलियत होगी।

➡️सरकार को भूमि खरीद-बिक्री पर अधिक नियंत्रण प्राप्त होगा, जिससे अनियमितताओं पर रोक लगेगी।

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