कीट एवं रोग निगरानी के लिए स्वचलित प्रणालियां किसानों के लिए लाभप्रदः डा. दीपा विनय

पन्तनगर विश्वविद्यालय के उद्यान विज्ञान विभाग, सब्जी विज्ञान विभाग, कीट विज्ञान विभाग एवं वेस्टर्न सिडनी विष्वविद्यालय आस्ट्रेलिया और भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलुरू के सहयोग से दो-दिवसीय बागवानी फसलों की वास्तविक समय स्वचलित कीट एवं रोग निगरानी पर षिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की स्र्पाक योजना के तहत अंतर्राष्ट्रीय कार्यषाला का शुभारम्भ हुआ।

कार्यषाला का आयोजन भारतीय कृषि शोधकर्ताओं और अंतर्राष्ट्रीय विषेषज्ञों के बीच ज्ञान के आदान- प्रदान के लिए एक मंच के रूप में किया गया, जिसका उद्देष्य कीट एवं रोगों की चुनौतियों से निपटने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का निर्माण करना है। इस कार्यषाला में परम्परागत प्रणालियों से आधुनिक स्वचलित प्रणालियों में बदलाव की बढ़ती आवष्यकता को सम्बोधित किया गया।


उद्द्याटन सत्र की अध्यक्षता विष्वविद्यालय की कुलसचिव डा. दीपा विनय के द्वारा की गयी। इस कार्यषाला में विष्वविद्यालय के निदेषक शोध, अधिष्ठाता स्नातकोत्तर, अधिष्ठाता कृषि व्यवसाय प्रबंधन महाविद्यालय, निदेषक संचार, निदेषक अन्तर्राष्ट्रीय मामले आदि के साथ वेस्टर्न सिडनी विष्वविद्यालय आस्ट्रेलिया के डा. भरत रमेष एवं देष के विभिन्न विष्वविद्यालयों से आए विद्यार्थी एवं वैज्ञानिक उपस्थित रहे। सम्मेलन के संयोजक डा. रंजन कुमार श्रीवास्तव, प्राध्यापक, उद्यान विज्ञान विभाग (स्र्पाक परियोजना अन्वेषक) ने कार्यषाला की विषय वस्तु की जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि स्वचलित प्रणालियां कीट एवं रोगों की पहचान और जनसंख्या गतिषील मुल्यांकन की सुविधा के लिए उपयोगी है। किसानों को नई आधुनिक तकनीक की सुविधा प्रदान करेगी। डा. एस.के. कष्यप, अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय ने अंतर्राष्ट्रीय संस्थागत सहयोग के महत्व पर ध्यान केंद्रित किया और सभी प्रतिनिधियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया।

कुलसचिव ने बागवानी फसलों के महत्व और कीट-रोग प्रबंधन पर अपना अनुभव साझा किया एवं विभिन्न राज्यों से आये छात्र-छात्राओं ने भी इस कार्यषाला में अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये। अन्त में डा. जे.पी. पुरवार, प्राध्यापक, कीट विज्ञान विभाग (स्र्पाक सह परियोजना अन्वेषक) ने गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापन दिया।

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