कृषि सचिव, उत्तराखण्ड डा. एस.एन. पांडे, आईएएस द्वारा विभिन्न मुद्दों और कृषि विश्वविद्यालयों के योगदान पर चर्चा करने के लिए 3 अगस्त 2024 को सचिवालय, देहरादून में मुख्य सचिव समिति कक्ष में एक बैठक आयोजित की गयी। इस बैठक में पन्तनगर विश्वविद्यालय तथा वीर चंद्र सिंह गढ़वाली उत्तराखण्ड औद्यानिकी और वानिकी विश्वविद्यालय, भरसार के अधिकारी शामिल हुए।
बैठक में पंतनगर विश्वविद्यालय से कुलपति डा. मनमोहन सिंह चौहान, निदेशक शोध डा. ए.एस. नैन, नियंत्रक श्रीमती आभा गर्खाल, कुलसचिव डा. दीपा विनय, अपर निदेशक प्रशासन एवं अनुश्रवण डा. विवेकानंद, अपर मुख्य कार्मिक अधिकारी डा. गौहर ताज, संयुक्त निदेशक शोध डा. सुभाष चंद्र तथा सहायक निदेशक शोध डा. अजय कुमार श्रीवास्तव उपस्थित थे। वीर चंद्र सिंह गढ़वाली उत्तराखण्ड औद्यानिकी और वानिकी विश्वविद्यालय, भरसार के कुलपति डा. परविंदर कौशल, कुलसचिव, नियंत्रक तथा विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारी भी इसमें सम्मिलित हुए। इस बैठक में अपर सचिव, उत्तराखण्ड शासन श्री आनंद स्वरूप और संयुक्त सचिव, उत्तराखण्ड शासन श्रीमती महिमा रौकली भी उपस्थित थे।
बैठक की शुरुआत कुलपति डा. मनमोहन सिंह चौहान के विश्वविद्यालय के योगदान के संक्षिप्त विवरण के साथ हुई। उन्होंने जोर देकर कहा कि वित्तीय संकट और मानव संसाधन की कमी के बावजूद पंतनगर विश्वविद्यालय पूरे देश के राज्य कृषि विश्वविद्यालयों में पहले स्थान पर है। उन्होंने बताया कि पंतनगर विश्वविद्यालय ने 354 से अधिक उच्च उपज देने वाली किस्मों और कई तकनीकों के माध्यम से हरित क्रांति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
निदेशक शोध ने विश्वविद्यालय की अनुसंधान और विस्तार गतिविधियों की संक्षिप्त प्रस्तुति दी और उल्लेख किया कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक राज्य और राष्ट्र के किसानों की सेवा के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। किस्मों के अलावा पाइन नीडिल से बायोगैस और जैव-तेल तैयार करने और जैव-तेल को राल और ग्रीस में बदलने, कृषकों को सटीक और समय पर सलाह प्रदान करने के लिए आर्टिफिशियल इन्टेलिजेन्स/मशीन लर्निंग का उपयोग करने जैसी कुछ क्रांतिकारी तकनीकों को पंतनगर के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया गया है।
जैविक और प्राकृतिक खेती के माॅडल के विकास में पंतनगर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के सराहनीय योगदान को भी उजागर किया गया है। नियंत्रक आभा गर्खाल द्वारा विश्वविद्यालय की वित्तीय स्थिति प्रस्तुत की गई, जबकि अपर मुख्य कार्मिक अधिकारी डा. गौहर ताज ने एआईसीआरपी, नार्प और केवीके के संबंधित प्रशासनिक मुद्दों को उठाया। अपर निदेशक प्रशासन एवं अनुश्रवण डा. विवेकानंद ने सहायक कर्मचारियों के विभिन्न प्रशासनिक मुद्दों को उठाया।
कृषि सचिव डा. एस.एन. पांडे ने पंतनगर विश्वविद्यालय के योगदान की सराहना की और कहा कि राज्य के सभी विश्वविद्यालयों और विभागों को हितधारकों (किसानों) की सेवा के लिए एकजुट होकर काम करना चाहिए। उन्होंने उल्लेख किया कि पंतनगर विश्वविद्यालय नवाचार और कृषि प्रौद्योगिकी से किसानों को सशक्त बनाकर उनके बीच समृद्धि ला सकता है। उन्होंने नाबार्ड और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं का सुझाव दिया जहां विश्वविद्यालय आसानी से धनराशि प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि सरकार विश्वविद्यालय की सभी नवोन्मेषी और न्यायसंगत परियोजनाओं के लिए धन उपलब्ध कराएगी। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि पंतनगर विश्वविद्यालय और भरसार विश्वविद्यालय को मैकांजी के साथ मिलकर राज्य में कृषि विकास का रोडमैप तैयार करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि विश्वविद्यालय को किसानों को वित्तीय तथ्य और आंकड़े दिखाकर गर्मियों की धान नहीं उगाने के लिए राजी करना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि विश्वविद्यालय को कृषि विभाग के अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण मॉड्यूल तैयार करने चाहिए। बैठक का समापन कृषि सचिव डा. एस.एन. पांडे को धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।