समेटी-उत्तराखण्ड (प्रसार षिक्षा निदेषालय) एवं प्रसार प्रषिक्षण संस्थान, नीलोखेड़ी, हरियाणा (भारत सरकार) के संयुक्त तत्वाधान में प्रसार अधिकारियों के क्षमता विकास हेतु ‘प्रौद्योगिकी हस्तान्तरण के लिए विस्तार अधिकारियों का क्षमता विकास’ विशयक प्रषिक्षण जनवरी 7-10, 2025 को निदेषालय के कृशक भवन एवं प्रषिक्षण केन्द्र में आयोजित किया गया।
प्रषिक्षण के उद्घाटन अवसर पर विष्वविद्यालय के कुलपति डा. मनमोहन सिंह चैहान ने उपस्थित अधिकारियों से कहा कि विष्वविद्यालय द्वारा विकसित तकनीक के प्रचार-प्रसार में आप सभी की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने सलाह दी कि छोटे-छोटे उद्यम जैसे मोटे अनाजों की खेती, बैकयार्ड मुर्गी पालन, बकरी पालन, मौन पालन, मषरूम उत्पादन, मसालों का प्रसंस्करण अपनाकर किसानों के आय में पर्याप्त बढ़ोत्तरी की जा सकती है।
उन्होंने विषेश रूप से कहा कि उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में ज्यादातर लघु एवं मध्यम कृशक हैं, जिनके छोटे-छोटे जोत हैं। अतः इनकी आवष्यकतानुरूप तकनीकी हस्तान्तरण होना चाहिए। तकनीकी सहायता के लिए विश्वविद्यालय सदैव आपके साथ सहयोग हेतु समर्पित रहेगा। निदेशक प्रसार शिक्षा, डा. जितेन्द्र क्वात्रा ने प्रतिभागियों से कहा कि आप जैसे अधिकारी विश्वविद्यालय और कृषकों के बीच में पुल की भांति काम करते हैं।
आपसे प्राप्त फीडबैक भविष्य के षोध का आधार बनता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के विभिन्न जनपदों में स्थित कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा अनेक कृशकोपयोगी तकनीक विकसित किये गये हैं, आज आवश्यकता इस बात की है कि आप लोग इन तकनीकों का कृशकों के बीच ज्यादा से ज्यादा प्रचार-प्रसार करने में वैज्ञानिकों की मदद करें। डा. बी.डी. सिंह, प्राध्यापक एवं समन्वयक, समेटी ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रशिक्षण की रूपरेखा, चार-दिवसीय कार्यक्रम एवं इससे होने वाले लाभ के बारे में विस्तार से चर्चा किये।
इस अवसर पर उन्होंने विषेश रूप से कहा कि पर्वतीय पारम्परिक कृशि उत्पादों का विपणन कर कृशक अपनी आजीविका में वृद्धि कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि इस चार-दिवसीय प्रषिक्षण में अनेक विशय जैसे तकनीक हस्तांतरण में प्रसार रणनीति, संचार विधियां एवं तकनीकी हस्तान्तरण में इनका महत्व, सोषल मीडिया का कृशि में उपयोग, डिजिटल कृशि तकनीक, मषरूम उत्पादन से स्वरोजगार सृजन, एग्री स्टार्टअप द्वारा रोजगार संवर्धन, नेतृत्व विकास, तनाव प्रबन्धन जैसे विशयों का समावेष किया गया है। उन्हांेने प्रसार प्रषिक्षण केन्द्र, नीलोखेड़ी के निदेषक को पंतनगर में प्रषिक्षण आयोजन कराने हेतु धन्यवाद एवं आभार व्यक्त किया
हरियाणा कृशि विष्वविद्यालय-प्रसार प्रषिक्षण संस्थान, नीलोखेड़ी के संकाय सदस्य डा. भरत सिंह घणघस ने कहा कि प्रसार अधिकारियों का समय-समय पर प्रषिक्षण होते रहना चाहिए, जिससे इनका क्षमता विकास हो एवं ये विकसित तकनीकों के बारे में अपने-अपने क्षेत्रों में अधिकतम प्रचार-प्रसार कर सकें।
उन्होंने प्रथम दिन प्रौद्योगिकी हस्तान्तरण में संचार के विभिन्न माध्यमों एवं इनके उपयोग के बारे में जानकारी दी। उन्होंने विशेष रूप से पंतनगर विश्वविद्यालय के कुलपति डा. मनमोहन सिंह चौहान, निदेशक प्रसार शिक्षा डा. जितेन्द्र क्वात्रा एवं समन्वयक समेटी डा. बी.डी. सिंह का विश्वविद्यालय में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने हेतु धन्यवाद दिया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में कृषि संचार विभाग के संकाय सदस्यों द्वारा व्याख्यान एवं विभिन्न शोध केन्द्रों का भ्रमण कराया जाना प्रस्तावित है।
कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक तथा विभिन्न जनपदों से आतमा के अधिकारियों सहित लगभग 38 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम को सफल बनाने में डा. संजय चैधरी एवं डा. निर्मला भट्ट, प्राध्यापक, कु. ज्योति कनवाल, यंग प्रोफेशनल द्वितीय, डा. बबीता भट्ट, फेसिटिलिटेटर, श्री जगदीश चन्द्र बिष्ट का विशेष योगदान रहा। अंत में मनीषा आर्य, सहायक विकास अधिकारी (कृषि), बागेष्वर ने धन्यवाद ज्ञापित किया।