पंत विश्वविद्यालय के खाद्य और पोषण विभाग ने पोषण सोसाइटी ऑफ इंडिया (एनएसआई), पंतनगर चौप्टर के सहयोग से खाद्य और पोषण अनुसंधान में उभरते रुझानों पर एक विशेषज्ञ व्याख्यान और संवाद बैठक का आयोजन किया। 17वें कृषि विज्ञान कांग्रेस के तहत आयोजित इस हाइब्रिड कार्यक्रम में क्षेत्र के प्रमुख विशेषज्ञों, संकाय सदस्यों और शोधकर्ताओं ने भाग लिया।

सत्र का उद्घाटन खाद्य विज्ञान और पोषण (एफएसएन) विभाग की एमेरिटस वैज्ञानिक और एनएसआई की संयोजक डा. रीता सिंह रघुवंशी तथा खाद्य और पोषण विभाग की प्रोफेसर एवं प्रमुख और एनएसआई, पंतनगर चौप्टर की सचिव डा. अर्चना कुशवाहा ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डा. अलका गोयल, अधिश्ठाता सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय और डा. कृष्णपिल्लई माधवन नायर, फेलो, राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी (एनएएएस) और वैज्ञानिक एफ (सेवानिवृत्त), राष्ट्रीय पोषण संस्थान ने की।
इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने मुख्य व्याख्यान दिए। यूनिवर्सिटी ऑफ जॉर्जिया, अमेरिका के खाद्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी (एफएसटी) विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. अभिनव मिश्रा ने ‘खाद्य सुरक्षा में मशीन लर्निंग के अनुप्रयोग’ पर एक महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया, जिसमें खाद्य गुणवत्ता सुनिश्चित करने और जोखिम कम करने में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भूमिका पर प्रकाश डाला गया।
इसके बाद, यूनिवर्सिटी ऑफ जॉर्जिया, अमेरिका के एफएसटी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आनंद मोहन ने “ऑक्सीकृत खाद्य पदार्थ: पोषण और स्वास्थ्य आयाम” विषय पर एक आकर्षक सत्र प्रस्तुत किया, जिसमें मानव कल्याण में आयुर्वेद के महत्व को भी शामिल किया गया।
इस कार्यक्रम में कई प्रमुख शिक्षाविदों ने भाग लिया, जिनमें खाद्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डा. एस.के. शर्मा, एएलपी, एनडीआरआई के प्रमुख डा. विकास बोहरा, एफएमपीटी के प्रोफेसर और प्रमुख डा. विपुल गुप्ता, डेयरी प्रौद्योगिकी विभाग, एनडीआरआई, करनाल के प्रोफेसर और प्रमुख डा. डी.एन. यादव, सहायक प्रोफेसर (एलपीटी) डा. प्रमेता सिंह, खाद्य और पोषण विभाग की सहायक प्रोफेसर डा. नीतू डोभाल, आरएमसीएस की प्रोफेसर और प्रमुख डा. अदिति वत्स और ईईसीएम की सहायक प्रोफेसर डा. अनुपमा पांडे शामिल थे।
विशेषज्ञ वक्ताओं को डा. रीता सिंह रघुवंशी द्वारा सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का समापन डा. अर्चना कुशवाहा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। यह कार्यक्रम खाद्य और पोषण विज्ञान में समकालीन चुनौतियों का समाधान करने के लिए बहुआयामी अनुसंधान और वैश्विक सहयोग के महत्व को उजागर करने में सफल रहा।