(चारधाम यात्रा/पर्यटन) रिकॉर्डतोड़ श्रद्धालुओं की बुकिंग, यात्रा पर आते समय रखें इन जरूरी बातों का ध्यान

अगर आप भी इस वर्ष यात्रा/पर्यटन हेतु उत्तराखंड आ रहे हैं तो आपके लिए ध्यान देने वाली कुछ बातें…

प्राकृतिक दृष्टिकोण से बेहद समृद्ध उत्तराखंड राज्य में प्रतिवर्ष चारधाम यात्रा में लाखों की संख्या में श्रद्धालुगण आते हैं और लगे हाथों आस्था स्थलों के साथ-साथ उत्तराखंड के विभिन्न पर्यटन स्थलों में भी रमण करते हुए अद्भुत आनंद उठाते हैं। घर जाकर उनके इस आनंद की चर्चा सुनकर अन्य लोग भी उत्तराखंड आना चाहते हैं यही कारण है कि प्रतिवर्ष उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों/श्रद्धालुगण की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है। जब संख्या बढ़ रही है तो जाहिर है कि हमको सावधानी भी अधिक रखनी चाहिए।

उत्तराखंड में इस वर्ष 10 मई से चारधाम यात्रा की शुरुआत हो रही है जिसमें आने के लिए आपको दिए गए लिंक पर अपना e-रजिस्ट्रेशन कराना है- https://registrationandtouristcare.uk.gov.in

पिछले कुछ दिनों में चारों धामों (गंगोत्री, यमुनोत्री, श्री केदारनाथ व श्री बद्रीनाथ) की ऑनलाइन बुकिंग की संख्या को देखते हुए इस वर्ष रिकार्डतोड़ श्रद्धालुगण के उत्तराखंड आने की संभावना है।

उत्तराखंड आने वाले यात्रियों में से अधिकांशत: हरिद्वार “पतित पावनी मां गंगा नदी” में स्नान करने के उपरांत ही अपनी यात्रा का आरंभ व समापन करना चाहते हैं जिस कारण उत्तराखंड के अन्य जनपदों के मुकाबले हरिद्वार में यात्रियों का सबसे अधिक दबाव रहता है और जिसको स्मार्टली हैंडल करने के लिए हरिद्वार पुलिस आपकी सेवा में तत्पर है लेकिन हम यह भी चाहते हैं कि आप भी निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें और उत्तराखंड से सुनहरी यादें लेकर अपने गंतव्यों को प्रस्थान करें।

यात्रा से जुड़ी ध्यान रखने योग्य कुछ महत्वपूर्ण बातें:-

1- “जान है तो जहान है” :- यात्रा से पहले अपने स्वास्थ्य की जांच करवा लें। अपने डॉक्टर से पूछ लें की उत्तराखंड में ऊंचाई वाले स्थान में जाने पर आपको कोई दिक्कत तो नहीं आएगी। यात्रा के दौरान सभी महत्वपूर्ण दवाएं अपने साथ रखें।

2- आप जहां से आ रहे हैं वहां पर तापमान लगभग 40 डिग्री सेंटीग्रेड या उससे अधिक होगा लेकिन उत्तराखंड में कई ऊंचाई वाले स्थान ऐसे हैं जहां रात में तापमान 2 से 5 डिग्री तक रहता है इसलिए अपने यात्रा प्लान को देखते हुए अपने साथ जरूरी गर्म कपड़े अवश्य लेकर आएं।

3- चार धाम में ऊंचाई वाले स्थानों पर मौसम बहुत तेजी से बदलता है जिस कारण कभी-कभी यात्रा को स्थिति के अनुसार कुछ घंटे अथवा दिन के लिए रोका जाता है। ऐसे मौकों पर कृपया पुलिस व प्रशासन का सहयोग करें उनसे अनावश्यक बहस न करें। ऐसी परिस्थितियों में ताजा जानकारी के लिए उत्तराखंड पुलिस को फॉलो करें।

4- जरूरी फोन/मोबाइल नंबर:- यात्रा के दौरान प्रत्येक समूह के प्रत्येक सदस्य के पास सभी महत्वपूर्ण नंबरों की सूची अवश्य होनी चाहिए। अपने साथ आए बच्चों को माता-पिता के मोबाइल नंबर देने के साथ-साथ “कभी समस्या आने पर” उत्तराखंड में कहीं से भी 112 पर कॉल करने के लिए बताएं। आपकी हर समस्या को सुना, समझा एवं यथासंभव उपचार किया जाएगा।

5- स्थानीय भोजन:- उत्तराखंड में कहीं भी जाएं तो स्थानीय खाद्यान्न का स्वाद/आनंद लें, ऐसा करने से आप उस स्थान से प्राकृतिक रूप से जल्दी और आसानी से सामंजस्य बैठा पाएंगे जिससे आपका शरीर स्वास्थ्य बेहतर रहते हुए आपकी यात्रा भी सुगम होगी।

6- धार्मिक स्थलों की मर्यादा का ध्यान रखें:- वक्त के बदलते दौर में कुछ नवयुवक रील्स बनाकर ज्यादा लाइक व कमेंट पाने के लिए धार्मिक स्थलों में अमर्यादित आचरण करते हैं जो न सिर्फ समाज में एक विक्षोभ पैदा करता है बल्कि कभी भी भयानक रूप ले सकता है। इसलिए जरूरी है कि हम धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों का सम्मान करें और उनकी महत्ता को समझें।

7- सुरक्षा की जाँच:- आपकी सुरक्षित यात्रा के लिए हम सभी प्रतिबद्ध हैं इसलिए जहां कहीं भी आपको सुरक्षा के दृष्टिकोण से रोका जाए तो कृपया उसमें सहयोग करें

8- पर्यटन के नियम/विनियम:- उत्तराखंड में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर भौगोलिक स्थिति बदलने के कारण न सिर्फ मौसम में काफी भिन्नता पाई जाती है बल्कि किसी स्थान विशेष जाने की मान्यता एवं आचरण के नियमों में भी। जिस कारण उत्तराखंड में ऐसे स्थानों में जाने पर पहले आसपास से जानकारी अवश्य कर लें कि किसी स्थान विशेष में जाने के लोकल नियम अथवा मर्यादा क्या हैं तद्नुसार पर्यटन के नियमों और विनियमों का पालन करें।

9- प्रकृति को निहारें, नुकसान न पहुंचाएं
“पर्यावरणीय संरक्षण” :- यात्रा के दौरान कई पर्यटक अधिक उत्साह में ऐसे स्थान/स्थानों पर चले जाते हैं जो जोखिम भरा होने के साथ ही प्राकृतिक संपदाओं को भी काफी नुकसान पहुंचाता है। कई पर्यटक उत्तराखंड से ‘कुछ याद’ अपने साथ ले जाने के लिये चुपके से कई दुर्लभ प्रजाति के पुष्प अथवा कोई प्राकृतिक वस्तु अपने साथ ले जाते हैं जो उचित नहीं। कृपया पर्यावरण का सम्मान करें और स्थानीय प्रयासों में सहभागिता करें।

10- कहां से कहां तक जाना है, टैक्सी भाड़ा इत्यादि पहले से ही तय कर लें। रजिस्टर्ड संस्था से ही गाड़ी बुक करें।

11- आस्था के स्थलों पर हो सकता है कि कहीं कुछ ऐसा हो जाए जो आपके नजरिए से उचित न हो तो उसके बारे में आप संबंधित संस्था अथवा प्रशासन के उच्च अधिकारी को अपनी बात सही प्रकार से रखें/बताएं न की सोशल मीडिया का सहारा लेते हुए एक ऐसा माहौल पैदा करें जो अन्य लोगों की आस्था को ठेस पहुंचाती हो। कभी-कभी सोशल मीडिया में इस प्रकार से प्रचार-प्रसार करने से अर्थ का अनर्थ हो जाता है जबकि मुख्य मामला वहीं का वहीं रह जाता है।

12- गर्मी दिन प्रतिदिन बढ़ रही है ऐसे में यात्रियों की अचानक संख्या बढ़ने पर जाम लगने की स्थिति में भी स्वयं को गर्म न होने दें। एक बात अवश्य ध्यान रखें जो सड़कें कुछ हजार लोगों के आने जाने के लिए बनाई गई है उनमें अचानक कुछ लाख लोगों के आने पर थोड़े समय के लिए समस्या उत्पन्न हो सकती है लेकिन आपके व्यवहार और उत्तराखंड पुलिस की मेहनत से कहीं भी लगने वाले जाम को जल्दी से जल्दी सामान्य कर लिया जाएगा हमें आपके/आपसे सहयोग की अपेक्षा है।

13- घर लौटते समय स्थानीय स्तर पर संबंधित एजेंसी को अथवा घर लौटने के बाद जहां तक संभव हो पत्राचार के माध्यम से अपना फीडबैक अवश्य दें ताकि व्यवस्था में उत्तरोत्तर सुधार होता रहे।

14- ऊंचाई वाले दुर्गम ट्रैकिंग रूट पर अपने साथ स्थानीय गाइड को अवश्य रखें अन्यथा आपकी जान को खतरा बना रहता है।

15- यात्रा में आ रहे यात्रीगण बच्चों समेत अपनी आईडी अपने साथ अवश्य रखें। अगर आप अपने प्राइवेट वाहन से आ रहे हैं तो उसके संपूर्ण कागजात अप-टू-डेट रखें।

16- घाटों में स्नान करते समय बच्चों का हाथ पकड़ कर रखें। जोखिम वाले स्थान में स्नान न करें। एक व्यक्ति सामान के पास अवश्य रहे।

17- यात्रा के दौरान पहाड़ की सड़कों पर ट्रैफिक काफी अधिक रहता है इसलिए अपने वाहनों से टशन अथवा स्टंटबाजी बिल्कुल न करें।

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