पन्तनगर विश्वविद्यालय के नारमन ई. बोरलाॅग फसल अनुसंधान केंद्र के पास स्थित जनरल बिपिन रावत पर्वतीय विकास शोध शिक्षणालय द्वारा मंडुवा के प्रजातीय विकास पर शोध कार्य आरंभ किया है।
इसके निदेशक डा. आनन्द सिंह जीना ने बताया कि मंडुवा उत्तराखण्ड में उगाई जाने वाली प्रमुख ‘श्रीअन्न’ फसल के बहुआयामी प्रयोगों के कारण इसका उत्पादन बढ़ाने की अत्यंत संभावनाएं हैं।
विश्वविद्यालय के कुलपति डा. मनमोहन सिंह चौहान के निर्देशानुसार, मंडुवा फसल की उन्नत प्रजातियों और उत्पादन तकनीकियों के विकास के लिए पर्वतीय विकास शोध शिक्षणालय ने शोध कार्य आरंभ किया है। डा. चौहान ने पूरी टीम को समन्वित प्रयास के लिए स्पष्ट निर्देश दिए हैं, जिससे कृषि के साथ-साथ सांस्कृतिक और आर्थिक विकास हो सके।
शोध शिक्षणालय के निदेशक डा. जीना ने हाल ही में तमिलनाडू कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित मंडुवा जननद्रव्य दिवस में भाग लिया, जहाँ पर 12,000 जननद्रव्यों का प्रदर्शन किया गया था। डा. जीना ने सभी जननद्रव्यों का चयन कर पर्वतीय जलवायु के अनुरूप 450 से अधिक जननद्रव्यों का चयन किया है, और इन जननद्रव्यों के बीज उपलब्ध कराने की प्रक्रिया आरंभ की है।
मंडुवा जननद्रव्यों के संग्रह के साथ-साथ स्थानीय जननद्रव्यों के साथ प्रजातीय विकास का शोध कार्य भी शुरू किया जाएगा। साथ ही, मंडुवा में होने वाले रोगों और कीटों पर भी शोध कार्य किया जाएगा। निदेशक शोध डा. अजीत सिंह ने बताया कि जनरल बिपिन रावत पर्वतीय विकास शोध शिक्षणालय के लक्ष्यों के अनुरूप कार्य किया जा रहा है, और भविष्य में अन्य ‘श्रीअन्न’ फसलों पर भी शोध कार्य आरंभ किये जाएंगे, ताकि उत्तराखंड के किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके।
पन्तनगर विश्वविद्यालय ने पहले ही भारत सरकार की संस्था एपीडा के साथ सहमति प्राप्त की है, जिससे पर्वतीय कृषि के उत्पादों का निर्यात संभव हो सके।