पंत विश्वविद्यालय में तीन-दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम सम्पन्न, टीम ने रेक, सिलाई मशीन, खुरपी और दूध की बाल्टी इत्यादि महिलाओं को बांटी

अखिल भारतीय समन्वित शोध परियोजना कृषि में महिलाएं, पंतनगर विश्वविद्यालय एवं आई.सी.ए.आर.-सीवा, भुवनेश्वर के वित्तीय सहयोग से उत्तराखंड के गेठिया गाँव (नैनीताल) में अनुसूचित जाति उपयोजना (एस.सी.एस.पी.) के तहत तीन-दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम का आयोजन डा. मनीषा गहलोत, डा. सीमा क्वात्रा, डा. पूनम तिवारी तथा उनकी शोध टीम द्वारा किया गया।

इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जाति की महिलाओं को विभिन्न कौशल विकास गतिविधियों से अवगत कराना और उन्हें कृषि प्रक्रियाओं एवं उपकरणों के माध्यम से आर्थिक सशक्तिकरण प्रदान करना था। निदेशक शोध डा. अजीत सिंह नैन द्वारा इस प्रयास को सराहा गया एवं आयोजन समिति को उक्त कार्यक्रम हेतु शुभकामनाएं दी।


कार्यक्रम के पहले दिन उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया, जिसमें बेलुवाखान, निगलाट और गेठिया गांवों के ग्राम प्रधान कार्यक्रम के वरिष्ठ अतिथि तथा मुख्य अतिथि बरोदा स्वरोजगार विकास संस्थान, नैनीताल निदेशक श्री प्रदीप सिंह यार्सो तथा श्री सुरेश बिष्ट, वित्तीय साक्षरता सलाहकार, बरोदा स्वरोजगार विकास संस्थान रहें।

श्री प्रदीप सिंह यार्सो ने महिलाओं को बरोदा स्वरोजगार विकास संस्थान के अर्न्तगत आने वाली स्वरोजगार और उद्यमिता की योजनाओं का एक संवादात्मक सत्र महिलाओं के समकक्ष प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने प्रतिभागियों को इन योजनाओं से जुड़ने और उनके लाभ उठाने की जानकारी दी।

इसके बाद श्री सुरेष विश्ट, वित्तीय साक्षरता सलाहकार ने ग्रामीण स्वरोजगार प्रषिक्षण संस्थान द्वारा चलाई जा रही विभिन्न वित्तीय सहायता और सब्सिडी योजनाओं की विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने महिलाओं को स्वरोजगार के लिए उपलब्ध वित्तीय संसाधनों से अवगत कराया। कार्यक्रम के दूसरे दिन श्रीमती भावना जोशी, वरिष्ठ कीट वैज्ञानिक, उत्तराखण्ड सरकार मुख्य अतिथि रहीं जिन्होंने मधुमक्खी पालन और शहद उत्पादन के सभी पहलुओं पर विस्तृत जानकारी दी।

श्रीमती जोशी ने मधुमक्खी पालन, शहद उत्पादन, विपणन और बिक्री की समग्र प्रक्रिया को समझाया, जिसमें मधुमक्खी पालन के व्यवसाय को शुरू करने और चलाने के बारे में मूल्यवान ज्ञान प्रदान किया।

ए.आई.सी.आर.पी.-कृषि में महिलाएं की वैज्ञानिक डा. मनीषा गहलोत द्वारा स्थानीय श्रोत जैसे बिच्छू घास, भांग से वस्त्र बनाने की प्रक्रिया को विस्तार से बताया। इसके पश्चात डा. सीमा क्वात्रा द्वारा कृषि के कार्य में होने वाले श्रम की कठिनाई को कम करने के उपकरणों की जानकारी दी गई।


कार्यक्रम के अंतिम दिन, विभिन्न कृषि और घरेलू उपकरणों का प्रदर्शन किया गया तथा कृषक महिलाओं को ए.आई.सी.आर.पी. कृषि में महिलाएं के वैज्ञानिक डा. मनीषा गहलोत, डा. सीमा क्वात्रा, डा. पुनम तिवारी तथा उनकी शोध टीम द्वारा विभिन्न उपकरणों का वितरण किया गया जिसमें रेक, सिलाई मशीन, खुरपी और दूध की बाल्टी इत्यादि शामिल थे, जिसमें गेठिया, वेलुवाखान, निगलाट की 40 कृषक महिलाओं ने प्रतिभाग किया। इस पहल को ग्रामीण महिलाओं ने सराहा और भविष्य में ऐसे और कार्यक्रमों की आवश्यकता पर जोर दिया। यह कार्यक्रम अनुसूचित जाति समुदाय की महिलाओं के लिए विशेष रूप से एस.सी.एस.पी. योजनाओं तथा आजीविका में सुधार लाने की दिशा पर केंद्रित था।

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