पंतनगर। 10 मार्च 2025। चार-दिवसीय 117वंे अखिल भारतीय किसान मेले एवं कृषि उद्योग प्रदर्षनी का समापन एवं पुरस्कार वितरण समारोह कार्यक्रम आज विष्वविद्यालय के दीक्षान्त पण्डाल में आयोजित किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि जिलाधिकारी ऊधमसिंह नगर श्री नितिन सिंह भदौरिया के साथ विष्वविद्यालय के कुलपति डा. मनमोहन सिंह चौहान, निदेषक प्रषासन एवं अनुश्रवण श्री बी.एस. चलाल, नियंत्रक श्रीमती आभा गरखाल, निदेषक प्रसार षिक्षा, डा. जितेन्द्र क्वात्रा एवं निदेषक शोध, डा. ए.एस. नैन मंचासीन थेे।

मुख्य अतिथि श्री नितिन सिंह भदौरिया ने कहा कि जब तक किसानों की आय नहीं बढ़ेगी, तब तक समग्र विकास संभव नहीं है। उन्होंने सतत कृषि पद्धतियों (सस्टेनेबल एग्रीकल्चर प्रैक्टिस), ब्लॉकचेन तकनीक, फार्म-टू-फूड एग्रीकल्चर चेन और किसानों की आय दोगुनी करने पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने किसानों को नवाचारों और आधुनिक तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित किया और बताया कि टेक्नोलॉजी के समावेश से कृषि उत्पादन क्षमता और लाभ दोनों में वृद्धि हो सकती है। उन्होंने देवल गाँव का विशेष रूप से उल्लेख किया गया, जो जैविक खेती को अपनाकर पूरी तरह से ऑर्गेनिक गाँव बनने की दिशा में अग्रसर है।
कुलपति डा. मनमोहन सिंह चौहान ने अपने संबोधन में कहा कि विष्वविद्यालय किसानों को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ने के लिए विशेष प्रयास कर रहा है। उन्होंने बताया कि किसानों के लिए व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए हैं, जिससे उन्हें कृषि संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी, नई तकनीकें, बाजार से जुड़ी खबरें और सरकारी योजनाओं की जानकारी सीधे मोबाइल पर मिल सके। उन्होंने यह भी बताया कि इस किसान मेले के दौरान प्रत्येक दिन 1,000 से अधिक किसानों को गोष्ठियों के माध्यम से लाभान्वित किया गया। इन गोष्ठियों में विशेषज्ञों ने उन्नत कृषि तकनीकों, जैविक खेती, समेकित कृषि प्रणाली, जल संरक्षण तकनीकों और स्मार्ट खेती के तरीकों पर विस्तार से जानकारी दी।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में चार-दिवसीय 117वें किसान मेले के बारे में जानकारी देते हुए डा. जितेन्द्र क्वात्रा ने बताया कि विष्वविद्यालय के लगभग 30 लाख के बीज, पौधे व कृषि साहित्यों की बिक्री की गयी। उन्होंने बताया कि इस मेले में विभिन्न फर्मों, विष्वविद्यालय एवं अन्य सरकारी संस्थाओं के छोटे-बड़े लगभग 385 स्टाल लगाये गये व लगभग 25 हजार से अधिक पंजीकृत एवं अपंजीकृत किसानों ने मेले का भ्रमण किया।
उन्होंने बताया कि अल्मोड़ा की एक महिला किसान द्वारा मंडुआ और मशरूम से तैयार मोमो बेचकर 2 से 3 लाख रुपये की आय अर्जित करने का उदाहरण प्रस्तुत किया गया, जिससे महिला उद्यमिता को नई दिशा मिली। वहीं, साहीवाल गाय की रिकॉर्ड 1 लाख 1 हजार रुपये में नीलामी हुई, जो मेले का ऐतिहासिक क्षण रहा। मेले में कृषि से संबंधित पुस्तकों के स्टॉल से 5 से 6 लाख रुपये की आय अर्जित की गई। इसके अलावा, ‘हेलो मंडी’ स्टार्टअप ने किसानों को बाजार में अपनी उपज की मार्केटिंग और विपणन की जानकारी दी। इस बार किसान मेले में निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण सुविधा भी उपलब्ध कराई गई, जिससे किसानों को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होने का अवसर मिला।
ग्रीष्मकालीन धान (समर राइस) के स्थान पर वैकल्पिक फसलों को अपनाने के लिए विशेष किसान गोष्ठी आयोजित की गई, जिसमें विशेषज्ञों ने आधुनिक कृषि तकनीकों पर जानकारी साझा की। हरियाणा के एक किसान द्वारा उगाई गई विशाल लौकी भी आकर्षण का केंद्र रही।
विष्वविद्यालय में चल रहे चार-दिवसीय किसान मेले के समापन समारोह में आज किसान मेले में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं तथा प्रदर्षित किये गये चयनित स्टालों को पुरस्कृत किया। सर्वोत्तम स्टाल के लिए मैसर्स पंजाब मोटर्स, रूद्रपुर तथा सर्वोत्तम प्रदर्षन के लिए मैसर्स मनराज एग्रो इन्डस्ट्रीस, गदरपुर को पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर मेले में किसानों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने हेतु महिला क्लब को, विष्वविद्यालय के सुरक्षाधिकारी एवं उनकी टीम को सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ करने हेतु पुरस्कृत किया गया।
इसके अतिरिक्त इस अवसर पर किसान मेले में आयोजित पषु प्रदर्षनी एवं अन्य प्रतियोगिता में विभिन्न स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को भी पुरस्कार प्रदान किये गये। साथ ही मेले में लगाये गये विभिन्न वर्गों के स्टॉलों को भी उनके प्रदर्षन व बिक्री के आधार पर पुरस्कृत किया गया। समापन समारोह में डा. ए.एस. नैन ने कार्यक्रम के अंत में सभी का धन्यवाद दिया। इस अवसर पर विष्वविद्यालय के सभी अधिष्ठाता, निदेषकगण, विभागाध्यक्ष, संकाय सदस्य, विद्यार्थी एवं कृषक उपस्थित थे।