(मानसून) बांध या बैराज का जल स्तर बढ़े तो सायरन खुद बज जाए, हों ऑटोमैटिक सेंसर। यहां बांध और बैराजों में अर्ली वार्निंग सिस्टम नहीं लगाने पर कारण बताओ नोटिस जारी करने के दिए निर्देश।

आगामी मानसून को लेकर सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में बांध परियोजना के प्रतिनिधियों के साथ बैठक आयोजित हुई। मंगलवार को सचिवालय में आयोजित बैठक में प्रदेश की बांध परियोजनाओं के प्रतिनिधियों ने मानसून के दृष्टिगत अपनी-अपनी तैयारियों के बारे में विस्तार से बताया।

उन्होंने कहा कि जुलाई के पहले पखवाड़े में बांधों की तैयारी तथा सुरक्षा व्यवस्था को परखने के लिए मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाएगा। मॉक ड्रिल में यह देखा जाएगा कि सेंसर और सायरन सही काम कर रहे हैं या नहीं। जो एसओपी बांध परियोजनाओं द्वारा बनाई गई हैं, आपातकालीन स्थिति में वह एसओपी धरातल में कितनी उपयोगी साबित होगी।

उन्होंने कहा कि बांधों और बैराजों की सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता होनी बहुत जरूरी है। सभी बांध ऑटोमेटिक सेंसर लगाएं ताकि एक निश्चित सीमा से बांध या बैराज का जल स्तर बढ़े तो सायरन खुद बज जाए।

डॉ. सिन्हा ने धौलीगंगा बांध परियोजना के प्रतिनिधियों से धारचूला में 360 डिग्री का पांच किलोमीटर तक की रेंज वाला सायरन लगाने के निर्देश दिए। बैठक में टीएचडीसी के एजीएम एके सिंह ने बताया कि गाद जमा होने के कारण टिहरी बांध की जल भंडारण क्षमता 115 मिलियन घन मीटर तक घट गई है। पहले यह 2615 मिलियन घन मीटर थी और वर्तमान में यह 2500 मिलियन घन मीटर पर आ गई है।

सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. सिन्हा ने उत्तर प्रदेश इरिगेशन विभाग के रवैये पर कड़ी नाराजगी जताई। उत्तराखण्ड में उत्तर प्रदेश इरीगेशन के नियंत्रणाधीन बांध और बैराजों में अर्ली वार्निंग सिस्टम नहीं लगाने पर सचिव आपदा प्रबंधन ने कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।

डॉ. सिन्हा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालयी ग्लेशियरों के लिए भी खतरा उत्पन्न हो गया है, इसलिए इनका अध्ययन भी जरूरी है। उन्होंने बताया कि ग्लेशियर झीलों के अध्ययन के लिए जल्द एक दल जा रहा है। ग्लेशियरों के अध्ययन के लिए भी एक दल जल्द भेजा जाएगा।

यूजेवीएनएल के अधिशासी निदेशक पंकज कुलश्रेष्ठ ने बताया कि उन्होंने सेटेलाइट फोन भी खरीद लिए हैं। आपदा के समय यदि संचार व्यवस्था ठप्प हो जाए तो इनसे संवाद करने में बड़ी मदद मिलेगी।

डॉ. सिन्हा ने जेपी ग्रुप की विष्णुप्रयाग बांध परियोजना के प्रतिनिधियों को सख्त हिदायत दी कि वे जल्द से जल्द अपनी एसओपी, इमरजेंसी एक्शन प्लान और शैडो कंट्रोल यूएसडीएमए के राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के साथ साझा करने को कहा।

बैठक में यूएसडीएमए के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी (प्रशासन) श्री आनंद स्वरूप, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी (क्रियान्वयन) श्री राजकुमार नेगी, अपर सचिव महावीर सिंह चौहान, संयुक्त सचिव विक्रम सिंह यादव, उप सचिव ज्योतिर्मय त्रिपाठी, संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मो0 ओबैदुल्लाह अंसारी, यूएसडीएमए के विशेषज्ञ देवीदत्त डालाकोटी, डॉ. पूजा राणा, डॉ. वेदिका पंत, रोहित कुमार, तंद्रीला सरकार, मनीष भगत, हेमंत बिष्ट के साथ ही विभिन्न बांध परियोजनाओं के प्रतिनिधि शामिल हुए।

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