राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह(से नि) ने आज अल्मोड़ा के काकड़ीघाट स्थित ज्ञान वृक्ष (पीपल) में जलाभिषेक किया तथा ध्यान कक्ष में ध्यान भी लगाया। तत्पश्चात राज्यपाल ने कर्कटेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना की। इसके बाद उन्होंने काकड़ीघाट के बारे में विभिन्न जानकारियां प्राप्त की।
राम कृष्ण मिशन अल्मोड़ा के ध्रुवेशानंद महाराज ने उन्हें इस स्थान का महत्व बताया तथा कहा कि स्वामी विवेकानन्द जी ने अपनी यात्रा के दौरान 21 अगस्त 1890 ई0 को काकड़ीघाट में रात्रिवास किया था। यहाँ इस पीपल वृक्ष के नीचे जो बाद में ज्ञान वृक्ष के नाम से जाना गया, ध्यान करते हुए उन्हें एक दुर्लभ आध्यात्मिक अनुभूति हुई थी।
ज्ञान वृक्ष के नाम से विख्यात वह मूल पीपल वृक्ष सन् 2014 तक सूख गया था। परन्तु उसी वृक्ष के एक प्रतिरूप पौधे का रोपण 15 जुलाई 2016 को यहाँ उसी मूल स्थान पर किया गया है।
इस दौरान राज्यपाल ने कहा कि हर जगह की अपनी एक अलग पहचान है। यहां आकर स्वामी विवेकानन्द जी ने ध्यान लगाया था। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि उस वक्त जिस पेड़ के नीचे उन्होंने ध्यान लगाया था उसको हमने वैज्ञानिक तरीके से पुनर्जीवित किया है। उन्होंने कहा यहां आकर स्वामी विवेकानन्द जी की जो सोच-विचार और धारणा है उसे जानने का मौका मिला।
उन्होंने कहा कि आज हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती जल संरक्षण की है। कोसी नदी हमारे लिए पूजनीय है, जल एवं वृक्षों का संरक्षण करना सबसे बड़ी बात है। देवभूमि के हर व्यक्ति की आत्मा में वृक्ष, जल एवं जंगल के प्रति आदर एवं विशेष लगाव है।
राज्यपाल ने कहा कि आज ग्लोबल वार्मिंग की वजह से तापमान में वृद्धि हो रही है। जंगलों की आग भी एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आ रही है। उन्होंने कहा कि हर उत्तराखण्डी की जिम्मेदारी है कि वह इसका समाधान निकालें। उन्होंने कहा कि जंगलों की आग पूरी दुनिया के लिए चुनौती है। उत्तराखण्ड में जो इसका समाधान निकलेगा वह पूरी दुनिया को रोशनी देगा।