संस्थान द्वारा ‘आय वृद्धि हेतु कुक्कुट पालन’ प्रषिक्षण का आयोजन जुलाई 24-27, 2024 तक किया गया। उद्घाटन अवसर पर निदेषक प्रसार षिक्षा एवं समेटी, डा. जितेन्द्र क्वात्रा ने कहा कि कुक्कुट पालन एक ऐसा व्यवसाय है जो कृषकों की पर्याप्त आय वृद्धि में सहायक होगा।
विष्वविद्यालय द्वारा विकसित कुक्कुटों की प्रजातियों का प्रयोग कर कृषक अण्डे एवं मांस दोनों का विपणन कर अपनी आजीविका में 2-4 गुना बढ़ोत्तरी कर सकते हैं। डा. बी.डी. सिंह, प्राध्यापक (सस्य विज्ञान) एवं समेटी समन्वयक ने उपस्थित अतिथियों तथा प्रतिभागियों का स्वागत करने के साथ-साथ समेटी द्वारा सम्पादित किये जाने वाले विभिन्न कार्यक्रम, प्रषिक्षणों की रूप-रेखा इत्यादि के बारे में विस्तार से चर्चा किये।
उन्होंने बताया कि प्रषिक्षण में पषुचिकित्सा एवं पषुपालन विज्ञान महाविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा कुक्कुटों की विभिन्न प्रजातियाँ-परिचय, अण्डा और मांस देने वाले कुक्कुटों में आहार प्रबन्धन एवं गुणवत्ता नियंत्रण, बैकयार्ड कुक्कुट पालन, गिनी मुर्गी पालन प्रबन्धन, मुर्गियों का आवास प्रबन्धन, चूजों एवं पठोरों की प्रबन्धन व्यवस्था, बदलते मौसम में कुक्कुटों का प्रबन्धन व परजीवी रोग, कुक्कुटों में रोग प्रबन्धन व टीकाकरण, कृषक स्तर पर मुर्गी पालन: समस्या एवं समाधान, कुक्कुट पालन प्रबन्धन तकनीक एवं आर्थिक विवरण, कुक्कुट पालन सम्बन्धी व्यावहारिक जानकारियाँ, कृषकों की आय में वृद्धि हेतु कुक्कुट पालन, कुक्कुट पालन सम्बन्धी समस्याएं एवं निदान, कुक्कुट उत्पादों का प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन तथा कृषकोपयोगी प्रमुख स्वरोजगारपरक कृषि कार्यक्रम इत्यादि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
प्रदर्षन एवं प्रयोगात्मक षिक्षण हेतु प्रतिभागियों को विष्वविद्यालय के षैक्षणिक डेयरी एवं कुक्कुट प्रक्षेत्र, नगला सहित अन्य षोध केन्द्रों का भ्रमण कराया गया। प्रषिक्षण कार्यक्रम में जनपद-नैनीताल, ऊधमसिंह नगर, अल्मोड़ा एवं पौड़ी गढ़वाल के 31 विभागीय अधिकारियों एवं प्रगतिषील कृषकों द्वारा भाग लिया गया। प्रषिक्षण कार्यक्रम सम्पन्न कराने में कु. ज्योति कनवाल, यंग प्रोफेषनल-द्वितीय तथा श्री जगदीष चन्द्र बिष्ट का योगदान सराहनीय रहा।