उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) ने आज राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला में हीट वेव से बचाव को लेकर जरूरी दिशा-निर्देश दिए हैं।
इस कार्यशाला में प्रदेश के विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने ऑनलाइन प्रतिभाग किया।मौसम केंद्र के वैज्ञानिक रोहित थपलियाल ने हीट वेव के विभिन्न चरणों के बारे में बताया कि अगर मैदानी क्षेत्रों में चालीस डिग्री तथा पहाड़ी क्षेत्रों में तीस डिग्री तक तापमान पहुंच जाता है, तब हीट वेव की परिस्थितियां उत्पन्न होने की संभावना बनती हैं।
उन्होंने बताया कि उत्तराखण्ड में मई के अंतिम सप्ताह तथा जून के प्रथम सप्ताह में तापमान सबसे ज्यादा रहता है। मौसम विभाग द्वारा कलर कोडेड वार्निंग जारी की जाती है। इसके साथ ही क्या-करें, क्या न करें संबंधी जानकारी भी आम लोगों के लिए साझा की जाती है।स्वास्थ्य विभाग से डॉ. सुजाता ने बताया कि गर्मी जानलेवा भी हो सकती है, इसलिए एहतियात बरतना बहुत जरूरी है।
गर्मी का सबसे ज्यादा असर गर्भवती महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों पर पड़ता है, इसलिए एहतियात जरूरी हैं। कार्यशाला में डॉ. विमलेश जोशी ने कहा कि हीट वेव या अत्यधिक गर्मी से जितना खतरा इंसानों को है, उतना ही खतरा पशुओं को भी होता है, इसलिए उनका ख्याल रखना भी उतना ही जरूरी है।
धूप में खड़ी कार में भी दरवाजे और खिड़की खोलकर रखें ताकि कार से हानिकारक गर्म हवा बाहर निकल जाए। यूएसडीएमए की मौसम विशेषज्ञ डॉ. पूजा राणा ने बताया कि भारत सरकार ने हीट वेव को वर्ष 2019 में प्राकृतिक आपदा घोषित किया है। उन्होंने कहा कि गर्मी से बचने के लिए मौसम विभाग के अलर्ट को सुनना और दिशा-निर्देशों का पालन किया जाना जरूरी है।
इस दौरान प्रशिक्षण एवं क्षमता विकास विशेषज्ञ जेसिका टेरोन, आईईसी विशेषज्ञ मनीष भगत के अलावा सभी जिलों के डीडीएमओ, लोक निर्माण विभाग, शिक्षा, वन, उद्यान, पंचायती राज विभाग, पिटकुल, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस विभाग आदि विभागों के अधिकारियों ने प्रतिभाग किया।