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ऑनलाइन फ्रॉड एक बड़ी समस्या है जो आजकल इंटरनेट उपयोगकर्ताओं को प्रभावित कर रही है। यह किसी भी प्रकार की ऑनलाइन गतिविधि है जिसमें धोखाधड़ी, जालसाजी, या अनुचित कृत्रिमता शामिल हो सकती है। इसमें विभिन्न रूप हो सकते हैं, जैसे कि:
- फिशिंग: इसमें धोखाधड़ी वाले ईमेल, साइट, या संदेशों का उपयोग किया जाता है ताकि उपयोगकर्ता की निजी जानकारी, जैसे कि बैंक खाता विवरण, पासवर्ड, आदि प्राप्त की जा सके।
- ऑनलाइन शॉपिंग फ्रॉड: अकाउंट चोरी, नकली वेबसाइटों के माध्यम से ग्राहकों की धोखाधड़ी करना, या अनापत्ति से उत्पादों की बिक्री करना ऑनलाइन शॉपिंग फ्रॉड के उदाहरण हैं।
- कंप्यूटर या सॉफ़्टवेयर फ्रॉड: कंप्यूटर या सॉफ़्टवेयर में उत्पन्न सुरक्षा खतरे, फेक ऐप्स, मैलवेयर, स्पाइवेयर, आदि के माध्यम से ऑनलाइन फ्रॉड किया जा सकता है।
- क्रिप्टोकरेंसी फ्रॉड: धोखाधड़ी के उदाहरण में आपकी क्रिप्टोवैलेट से क्रिप्टोकरेंसी चुराना, फेक ICOs, आदि शामिल हो सकते हैं।
इसलिए, लोगों को ऑनलाइन फ्रॉड के खतरों के बारे में जागरूक रहना और सावधानी बरतना बहुत महत्वपूर्ण है। यह उनकी निजी और वित्तीय सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
ये रहा समाधान –
ऑनलाइन फ्राॅड होने पर क्या करें –
१- नजदीकी पुलिस स्टेशन या साइबर सैल में फ्रॉड की जल्द से जल्द शिकायत दर्ज कराकर उसकी रिसीविंग ले लें।
२- केंद्र सरकार के नेशनल साइबर क्राईम हेल्पलाईन 1930 पर या नेशनल साइबर क्राईम पोर्टल www.cybercrime.gov.in पर तुरंत शिकायत दर्ज करवाएं।
३- फ्रॉड वाले ही दिन या अगले दिन कोशिश करें कि पुलिस की रिसीविंग को लेकर अपने बैंक में जाएं। वहां फ्रॉड की एप्लिकेशन लिखें और पुलिस की रिसीविंग को संलग्न कर दें।
४- दोनों कॉपी की सॉफ्ट कॉपी को आरबीआई की इमेल आईडी crpc@rbi.org.in पर (सीसी में अपने बैंक का ईमेल आईडी डालकर) तुरंत भेज दें।
कितने दिन में मिल जाती है धोखाधड़ी की रकम-
३ से २१ दिन के भीतर आपको पैसा वापस मिल जाएगा।
किसे नहीं मिलता पैसा वापस?
जो लोग एक हफ्ते बाद बैंक और पुलिस को सूचना देते हैं उनकी रकम वापस मिलने की संभावना कम होती है। अगर किसी ने बिटकॉइन, ऑनलाइन करेंसी, पोर्न साइट या चैट रूम, ऑनलाइन गेम्स या सट्टा आदि में पैंसा गंवाया है तो वह पैंसा वापस नहीं मिल पाता। अगर किसी ने जानबूझकर ट्रांजेक्शन किया है या बैंक द्वारा सूचित करने के बाद भी ट्रांजेक्शन किया है तो पैसा वापस नहीं मिलता।