(पंत विश्वविद्यालय) कृषि क्षेत्र में छाई शोक की लहर, देश के मुर्धन्य वैज्ञानिक डा. बी.बी. सिंह नहीं रहे

देष के प्रथम कृषि विष्वविद्यालय के प्रथम बैच के एल्युमनस और मुर्धन्य वैज्ञानिक डा. बीर बहादुर सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे। डा. सिंह ने 1963 में पन्तनगर विश्वविद्यालय से बी.एससी. (ऑनर्स) एग्रीकल्चर एंड एनिमल हसबेंडरी की डिग्री प्राप्त की और 1965 में एम.एस. की डिग्री और 1967 में पीएच.डी. की डिग्री पूरी की।

कॉर्नेल विश्वविद्यालय में एक साल के पोस्ट डॉक्टरेट अनुसंधान के बाद, वे 1968 में पन्तनगर विश्वविद्यालय में अनाज दलहन और सोयाबीन प्रजनक के रूप में कार्य किया। IITA से सेवानिवृत्त होने के बाद, डा. सिंह पन्तनगर विश्वविद्यालय और टेक्सास ए एंड एम विश्वविद्यालय में अतिथि प्रोफेसर के रूप में काम कर रहे थे। डा. सिंह को अमेरिकी विज्ञान उन्नति संघ (AAAS) का फेलो चुना गया और 18 फरवरी, 2016 को बोस्टन, एमए में इसकी वार्षिक बैठक के दौरान उन्हें एक प्रमाण पत्र और एक रोज़ेट पिन से सम्मानित किया गया।

यह पुरस्कार उनके मटर, सोयाबीन और लोबिया की अल्पावधि किस्मों के प्रजनन पर उनके शोध कार्य के लिए था, जो अनाज-आधारित फसल प्रणालियों में स्थानिक फसलों के रूप में फिट होते हैं और प्रणाली की स्थिरता को बढ़ाते हैं, किसानों की भूमि, जल और श्रम संसाधनों के कुशल उपयोग को सुनिश्चित करते हैं और संतुलित खाद्य पोषण में योगदान करते हैं।

डा. सिंह कई पेशेवर सोसायटियों के सदस्य थे और उन्हें पहले भारतीय समाज आनुवंशिकी और पादप प्रजनन, अमेरिकी कृषि सोसायटी, फसल विज्ञान सोसायटी ऑफ अमेरिका, सीजीआईएआर द्वारा उत्कृष्ट वरिष्ठ वैज्ञानिक पुरस्कार और सिलिकॉन वैली टेक म्यूजियम पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।

विष्वविद्यालय के एल्यूमिनाई अल्मामेटर एसोसिएषन (4ए) के सचिव एवं प्रमुख समन्वयक डा. जे.पी. जायसवाल ने बताया कि डा. बी.बी. सिंह द्वारा विष्वविद्यालय के वैज्ञानिकों, विद्यार्थियों एवं संकाय सदस्यों को प्रोत्साहित करने के लिए विष्वविद्यालय में धनराषि देकर बहुत सारे सम्मान स्थापित किये।

उन्होंने बताया कि डा. सिंह एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक, प्रजनक के रूप में उनका सोयाबीन और लोबिया की फसल में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। विष्वविद्यालय में सोयाबीन प्रजनन की नींव उनके द्वारा रखी गयी थी और लोबिया की 60 दिनों की लोबिया की प्रजातियों में उनका बहुत योगदान रहा जोकि धान-गेहँू की फसल प्रणाली में योग्य साबित होती है।

विष्वविद्यालय के कुलपति डा. मनमोहन सिंह चौहान कहा कि डा. बी.बी. सिंह का कृषि में योगदान एक लम्बे समय तक याद किया जाएगा और उनका स्वर्गवास एक वैज्ञानिक समाज के लिए महान क्षति है।

खबर को शेयर करें ...
  • Related Posts

    (उत्तराखंड हाईकोर्ट) मिला नया मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस गुहनाथन नरेन्द्र ने ली शपथ।

    राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने गुरुवार को…

    खबर को शेयर करें ...

    (दु:खद) यहाँ हुआ दर्दनाक हादसा, गंगा में डूबे भाई-बहन, दो बच्चों की मौत से मचा कोहराम।

    गंगा स्नान करने गुजरात से आए परिवार के साथ ऐसा…

    खबर को शेयर करें ...

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    क्या ये आपने पढ़ा?

    (उत्तराखंड हाईकोर्ट) मिला नया मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस गुहनाथन नरेन्द्र ने ली शपथ।

    (उत्तराखंड हाईकोर्ट) मिला नया मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस गुहनाथन नरेन्द्र ने ली शपथ।

    (दु:खद) यहाँ हुआ दर्दनाक हादसा, गंगा में डूबे भाई-बहन, दो बच्चों की मौत से मचा कोहराम।

    (दु:खद) यहाँ हुआ दर्दनाक हादसा, गंगा में डूबे भाई-बहन, दो बच्चों की मौत से मचा कोहराम।

    भीमताल के ओखल में हुई बस दुर्घटना के मृतकों के परिजनों और घायलों को मिलेगी इतनी सहायता राशि

    भीमताल के ओखल में हुई बस दुर्घटना के मृतकों के परिजनों और घायलों को मिलेगी इतनी सहायता राशि

    भीमताल के ओखल में हुई बस दुर्घटना के मृतकों के परिजनों और घायलों को मिलेगी इतनी सहायता राशि

    भीमताल के ओखल में हुई बस दुर्घटना के मृतकों के परिजनों और घायलों को मिलेगी इतनी सहायता राशि

    कक्षा 5 और 8 में अब फेल होंगे छात्र, केंद्र ने खत्म की नो डिटेंशन पॉलिसी

    कक्षा 5 और 8 में अब फेल होंगे छात्र, केंद्र ने खत्म की नो डिटेंशन पॉलिसी

    (दीजिए बधाई) पंतनगर विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों का हुआ नामी कम्पनी में चयन

    (दीजिए बधाई) पंतनगर विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों का हुआ नामी कम्पनी में चयन