हाल ही में कांग्रेस नेता दिनेश अग्रवाल ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है, इस पर पूर्व सीएम हरीश रावत का दर्द छलक उठा, उन्होने सोशल मीडिया पर लंबी चौड़ी पोस्ट में क्या कुछ कहा पढ़िए।
अभी मुझे समाचार मिला कि श्री दिनेश अग्रवाल जी ने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया है। मैं समझ सकता हूं कि उनकी अपनी कुछ मजबूरियां रही होंगी, नहीं तो इतने वर्षों के कांग्रेस के जुड़ाव को वह इतने चुनौतीपूर्ण अवसर पर नहीं तोड़ते।
7 बार कांग्रेस ने उनको विधानसभा के लिए उम्मीदवार बनाया, मेयर के लिए भी उनको उम्मीदवार बनाया। कई साथियों की वरिष्ठता और क्षेत्रीय आरोपों को एक तरफ रखकर पार्टी ने मेरे विशेष आग्रह पर 2012 में उनको मंत्री पद से भी नवाजा, बल्कि मैं यह कहूं कि 2012 में मेरे राजनीतिक संघर्ष के वह सबसे प्रमुख लाभार्थी रहे तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
भाजपा के नेताओं से उनकी चल रही बातचीत की भनक लगते ही मैं तीन बार उनके आवास पर मिलने के लिए गया, श्री प्रीतम सिंह जी भी उनसे मिलने गए, पार्टी के शीर्ष स्तर से लेकर प्रांतीय स्तर पर सब लोगों ने उनसे नाराजगी त्यागने का आग्रह किया। मैंने स्थानीय कांग्रेस के धर्मपुर क्षेत्र के पार्षद गणों, पूर्व पार्षद गणों की भावनाओं को देखते हुये धर्मपुर क्षेत्र में 10 दिन कांग्रेस कार्यालय खोलने के निर्णय को विलंबित किया।
उनका मान-सम्मान और कांग्रेस से उनके गहरे रिश्ते को देखते हुये मैं पार्टी को भी धन्यवाद देना चाहूंगा कि सारी पुख्ता सूचनाओं के बावजूद भी जिनमें भाजपा के शीर्ष नेताओं के उनकी घर पर हुई बैठक की जानकारी के बावजूद भी पार्टी ने श्री अग्रवाल के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की और आज भी हम इतना ही भर कह सकते हैं कि दिनेश अग्रवाल जी आप पार्टी के साथ अपने इतने लंबे रिश्ते को तोड़कर जहां जा रहे हैं, आपका मान-सम्मान वहां सुरक्षित रहे, और बढ़े, यह हम सबकी कामना है।
मैं फिर कहना चाहूंगा “कुछ तो रही होंगी मजबूरियां, कोई यूं ही बेवफा नहीं होता” और मुझे उनकी मजबूरियों का कुछ-कुछ एहसास है, कुछ-कुछ आभास है। हां भाजपा को इस बात की बधाई है कि वह हमारे नेतागणों की मजबूरी का फायदा उठाने का कोई मौका चूकना नहीं चाहते हैं।
मैं धर्मपुर क्षेत्र के कांग्रेस कार्यकर्ताओं, सभी अपने नेतागणों का आवाहन् करता हूं कि हरीश रावत स्वयं आगे बढ़कर धर्मपुर क्षेत्र के अपने कांग्रेस कार्यकर्ताओं, अपने नेतागणों के हितों की रक्षा करने का काम करेगा और उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर निरंतर कांग्रेस को मजबूत करने का काम करेगा। वह चिंता छोड़कर और उत्साहपूर्वक इस चुनौती का सामना करने के लिए आगे आएं और अपनी पार्टी के झंडे को और अपनी पार्टी के चुनाव चिन्ह को घर-घर तक पहुंचाने के लिए कमर कस लें। वक्त ने हमारे सामने चुनौती प्रस्तुत की है, हमारा यह इम्तिहान है कि हम उस चुनौती का साहसपूर्वक सामना करें।